श्री राधा रानी की अष्ट सखी :
1. ललिता सखी जू :-
ललिता जी गोरे रंग की है ये नेह की रीति-भाति को जानने वाली हैं। मोरपंख की नीली साड़ी पहनती हैं, प्रिया-प्रियतम को पान प्रदान करती रहती हैं, यह सखी हर कला मे निपुण हैं, ललिता जी, प्यारी जी की परम प्रिय सखी हैं, कुंजन में ललिता जी प्यारी जू को गेंद का खेल खिलाती हैं तो कभी वन विहार नौका विहार के लिए ले जाती हैं।
2. विशाखा सखी जू :-
विशाखा सखी तारामंडल की साड़ पहनती हैं। ये सुगन्धित चीजों से बने चंदन का लेप करती हैं, चंदन लगाती हैं, हर सखी प्रिया-प्रियतम को सुख देने में लगी रहती हैं। प्यारी जी के अंगों का स्पर्श पाकर सखियाँ बहुत सुख प्राप्त करती हैं। यह सखी श्री श्यामा जी के नित्य सानिध्य में रहने वाली स्वामिनी की प्रिय सखी हैं। विविध रंगों के वस्त्रों का प्रीति-पूर्वक चयन करके प्रिया जू को धारण कराती हैं, ये छाया की तरह उनके साथ रहते हुए उनके हित की बातें करती हैं।
3. चित्रा सखी जू :-
चित्रा सखी पीली साड़ी पहनती हैं। प्यारी जी प्रियतम की सेवा में फल शरबत लेकर खड़ी रहती हैं। सन्धया समय चार बजे प्रिया-प्रियतम का जगाने का समय होता है तो युगलवर की सेवा में फल, शरबत, मेवा लेकर आती हैं। चित्रा सखी युगल की अति मन भाँवती सखी हैं। युगल की छण-छण की रुचियों को पहचानने वाली चित्रा जी सदा सेवा मे संलग्न रहती हैं। ये स्वरणिम, कांतिमय, पीले वस्त्र धारण करती हैं।
4. इन्दुरेखा सखी जू :-
इन्दुरेखा जी हरी साड़ी पहनती हैं, श्रृंगार सेवा गजरे बनाती हैं एवं प्रिया-प्रियतम को प्रेम कहानी सुनाती हैं। ये आठों सखियाँ हर कला मे चतुर व निपुण हैं, प्यारी जी किसी भी सखी को कुछ भी कोई भी आज्ञा दे देती हैं। नृत्य गायन सेवा कला में भी निपुण हैं। यह सखी बड़ी अत्यन्त कुशल एवं बडी सुझ-बूझ वाली हैं, ये लाल-प्रिया में रसोदीपन विभाव भी प्रकट करती है। इन्दुरेखा जी प्रतिछण प्रियतम-लाल को वशीकरण एवं मोहन यंत्रो की शिक्षा देती रहती हैं। इन सखी को चित्रलेखा भी कहते हैं।
5. चंपकलता सखी जू :-
चंपकलता जी प्रिया-प्रियतम के लिए भोजन बनाती हैं। जो भी युगलवर को रुचिकर हो, इनकी ही रुचि के अनुसार चौबीस व्यंजन और छप्पन भोग बना कर रसोई सेवा मे लगी रहती हैं। जब युगलवर सिंहासन पर विराजते हैं तो यह सखी चँवर सेवा में खड़ी रहती हैं। चंपकलता जी का अंग वर्ण पुष्प-छटा भांति है।
6. रंगदेवी सखी जू :-
रंगदेवी जी प्यारी जी की वेणी गूंथना, श्रृंगार करना और प्यारी जी के नैनों में काजल लगाती हैं। रंगदेवी सखी गुलाबी साड़ी पहनती हैं, वैसे तो सखियाँ तरह-तरह के रंगों की साड़ियाँ पहने होती हैं। ये सखी युगल के विविध आभूषणों को सावधानी पूर्वक संजो कर रखती हैं। ह्रदय में गाढ़ी प्रीति लिये सारे आभूषण सदा सेवा में लेकर खड़ी रहती हैं।
7. तुंगविधा सखी जू :-
तुंगविधा जी लाल साड़ी पहनती हैं। युगलवर के दरबार में नृत्य करने, गायन करने, की सेवा में रहती हैं। ये सब आठों सखियॉं हर छण प्रिया – प्रियतम की सेवा मे रहती है। प्यारी जी की आज्ञा की प्रतीक्षा मे रहती है।
8. सुदेवी सखी जू :-
सुदेवी जी बसंती रंग की साडी पहनती है । यह सखी प्यारी जी के नैनो मे काजल लगाती है । और प्रिय – प्रियतम की नजर उतारती हैं। ये सब आठों सखियाँ हर क्षण प्रिया-प्रियतम के मुख मंडल तथा उनके रुप माधुरी को देख-देख कर जीती हैं। प्रिया-प्रियतम का श्रीमुख चंद्र देखना ही इनका आहार है, जीवन है।
जय जय श्री राधे...
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